Try your hand at sales, purchase, and rent, etc

“सेल्स परचेस एवं रेंट वगैरह में हाथ आजमाइश करें|”

एक जन सेवा केंद्र संचालक के रूप मे किसी भी व्यक्ति के लिए सेल परचेस मे कार्य करना एक फायदे का सोदा हो सकता है| सेल परचेस से मेरा तात्पर्य यह है कि आप अपने आसपास मोजूद उन सभी चीजों की लिस्टिंग कर सकते है जिन तक बाकी लोगो की पहौच आसान नहीं है| जब किसी भी व्यक्ति को कोई चीज खरीदनी होती है तो वह हमेशा यही कोशिश करता है कि उसे एक सही प्रॉडक्ट मिले जिसकी कीमत भी सही हो| और ऐसा तभी होता है जब खरीदने वाले व्यक्ति के पास विकल्प मोजूद हो| यही बात किसी भी बेचने वाले व्यक्ति के बारे मे भी लागू होती है| जब किसी चीज पर भरपूर ग्राहक लगते है तो उसकी सबसे सही कीमत बेचने वाले को तभी मिलती है| सेल परचेस मे कोई भी वस्तु आपका प्रॉडक्ट हो सकती है जैसे कार, बस, ट्रक, ट्रैक्टर, मकान, दुकान, प्लौट, पालतू जानवर, एवं घर के अन्य उपकरण आदि|

आपके पास हर प्रकार का व्यक्ति आता है| आपके पास आने की उसकी जरूरत बहौत मामूली सी हो सकती है| लेकिन यदि आपके अंदर किसी भी अंजान व्यक्ति को बार बार अपनी दूकान पर वापस बुलाने का गुण है और बहौत जल्दी किसी को भी attract करने की क्षमता है तो यकीन मानिए यह बिज़नस आपके काम मे चार चाँद लगा सकता है| इस बात का अनुमान आप इसी बात से लगा सकते है कि यदि आपके माध्यम से कोई डील पूरी हुई और उसमे आपका कमिसन केवल 1% भी रहा और डील 1 करोड की हुई तो आपने एक लाख रूपये कमाए| एक जन सेवा केंद्र संचालक के लिए यह रकम 8500 रूपये प्रति माह के आसपास बैठती है जिसके एक साल मे कम से कम एक बार होने के चान्स काफी ज्यादा है|

सेल परचेस मे कार्य करने के लिए यह जरूरी है कि जोभी व्यक्ति आपके पास एक ग्राहक के रूप मे आता है उससे अपने दोस्ताना रिस्ते बनाने की कोशिश करे, चाहे वह व्यक्ति किसी प्रमाणपत्र के लिए आपके पास आया हो या फिर किसी प्रकार की फोटोकोपी के लिए| जोभी व्यक्ति आपके पास आ रहा है उसकी जरूरत कुछ और हो सकती है लेकिन उसको एक भावी ग्राहक के रूप मे देखने की कला आपमे होनी चाहिए| कई बार जब कोई ग्राहक आपकी शॉप पर आता है तो आप उसके बारे मे अंदाजा लगते है कि उसकी कोन कोन सी जरूरतों को आप पूरी कर सकते है और किस प्रकार से उसको अपना पेरमानेंट ग्राहक बना सकते है| केवल किसी भी व्यक्ति को देखकर ही उसकी जरूरतों का पता नहीं किया जा सकता है क्यूकी कई बार हमारी आंखे धोका खा जाती है और हम किसी भी व्यक्ति की वास्तविक जरूरत का अंदाजा लगाने मे फ़ेल हो जाते है| क्यूकी जरूरत से मेरा मतलब उसी परिभाषा से है जोकि अर्थशास्त्र मे जरूरत के लिये प्रयौग की जाती है| मसलन अर्थशास्त्र मे क्या है जरूरत की परिभाषा “किसी भी व्यक्ति की जरूरत उसके पास उपलब्ध धन और उस धन को उस जरूरत पर खर्च करने की तत्परता से संबन्धित होती है” इसलिए यह जरूरी है कि हर एक व्यक्ति मे एक ग्राहक होता है उसे पहचाने की छमता डिवैलप करें| 

किसी भी चीज को बेचना बहौत मेहनत का काम होता है|

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