Indian Agriculture
भारत एक कृषि प्रधान देश है परंतु फिर भी जहां लोग भूखे रह जाते हैं इसका क्या कारण है कि जिस देश में 70% लोग खेती करते हो वहां भी लोग भूखे रह जाते हैं यह हमारे देश की विडंबना है आइए जानते हैं इसके पीछे क्या क्या कारण है इसका मुख्य कारण यह है कि जो छोटे किसान हैं उनकी आमदनी बहुत ज्यादा कम है और शायद किसान होते हुए भी वह लोग भूखे रह जाते हैं या उन्हें भूखा सोना पड़ता है वह इतना भी नहीं कमा पाते कि दो वक्त की रोटी पूरी पढ़ सके हमारे देश में चाहे आजादी से पहले या आजादी के बाद जो गरीब लोग थे उनकी स्थिति वैसी की वैसी बनी हुई है एक अच्छा और पौष्टिक भोजन तो दूर देश की एक चौथाई आबादी भरपेट खाने से भी मोहताज है क्योंकि समस्या यह है कि खुद किसान होते हुए भी जब पेट नहीं भरता तो बाकी जो लोग भी किसानों पर आश्रित हैं उनकी हालत क्या होगी पिछले 70 साल से हमारे यहां पता नहीं कितनी सरकारें रही हैं परंतु कोई भी ऐसी नीति दे पाने में असफल रही हैं जिससे कि गरीबों का पेट भर सके या वह गरीब थोड़े आगे आकर राष्ट्र के निर्माण में सहयोग दे सकें राष्ट्र के निर्माण में प्रत्येक नागरिक का योगदान होता है परंतु वह वही योगदान दे सकता है जो उसके पास होता है हमारे यहां का बहुत ही खराब सिस्टम रहा है अमीर अमीर होते जा रहे हैं गरीब गरीब होते जा रहे हैं जो हमेशा से हमारे यहां चलता आ रहा था वह आज भी चल रहा है साहूकारी प्रथा आज भी कायम है सरकार को इस तरफ ध्यान देने की जरूरत है एक गरीब आदमी एक वक्त के अनाज के लिए सारी उम्र निकाल लेता यदि वह बीमार हो जाता है तो किसी साहूकार से उधारी लेता है और उसका सारा जीवन सुधारी को चुकाने में निकल जाता है किसी वजह से अगर वह दोबारा बीमार हो जाता है या उसकी फैमिली में कोई बीमार हो जाता है तो वह मर जाता है
हम कौशल विकास की बात करते हैं तो इसमें मेरा सुझाव यह है कि जो लोग सड़कों पर भीख मांग रहे हैं उनको कौशल विकास की ट्रेनिंग दी जाए और रोजगार दिया जाए या वह लोग जो भूखे रहते हैं जिन्हें किसी कारणवश भूखा रहना पड़ता है उन्हें इन योजनाओं से लाभान्वित किया जाए ताकि कुछ हद तक भूख और गरीबी हमारे देश से कम हो सके क्योंकि हम सब सोचते हैं कि वह लोग समाज के लिए बेकार हैं यह समाज के नाम पर कलंक हैं परंतु मेरा सोचना यह है कि वही लोग यदि उन्हें थोड़ा सा आगे लाया जाए तो हमारे राष्ट्र के निर्माण का महत्वपूर्ण अंग हो सकते हैं तो इस तरह थोड़ा ध्यान देने की जरूरत है मैंने देखा है कि कोई व्यक्ति 10 बच्चे पैदा करता है फिर उनसे भीख मंगवाते है तो इस तरह की सोच को हमारे समाज से निकालने की जरूरत है कदम भूख मिटाने की तरफ होना चाहिए ना की भीख देने की तरफ क्योंकि भूख कभी भीख देने से नहीं मिटती है लोगों में काम की भूख उत्पन्न होगी तो पेट की भूख अपने आप खत्म हो जाएगी क्योंकि कोयला जमीन में पड़ा हुआ ऊर्जा नहीं देता उसको वहां से निकालना पड़ता है फिर उसे जलाना पड़ता है तब कहीं उस से ऊर्जा प्राप्त होती है परंतु हमारा सिस्टम भूख की जगह भूखे को ही समाप्त करने पर तुला हुआ है ना भूखा होगा ना भूख होगी।