Glycyrrhiza glabra

सफेद मूसली (Glycyrrhiza glabra)

भारत में वर्षों से आयुर्वेदिक और हर्बल उपचारों का उपयोग किया जाता रहा है। भले ही आज कई लोग अंग्रेजी दवाओं और इलाज पर निर्भर होते हैं, फिर भी कभी न कभी वे आयुर्वेद का सहारा लेते हैं। सफेद मूसली एक ऐसा पौधा है, जिसके छोटे-छोटे सफेद फूल होते हैं। सफेद मूसली के कई फायदे हैं, लेकिन इसका सबसे बड़ा योगदान पुरुषों में यौन शक्ति बढ़ाने और नपुंसकता के इलाज में होता है।

अगर आपको अक्सर सर्दी-ज़ुकाम होता है या आपकी रोग प्रतिकारक क्षमता कमजोर है, तो सफेद मूसली का उपयोग कर सकते हैं। इसके सेवन से आपकी रोग प्रतिकारक क्षमता बढ़ती है और विभिन्न बीमारियों से राहत मिलती है।

सफेद मूसली से शारीरिक शक्ति तो बढ़ती ही है, साथ ही इसका उपयोग वजन बढ़ाने में भी किया जा सकता है। जो लोग अपना वजन बढ़ाना चाहते हैं, वे सफेद मूसली का सेवन कर सकते हैं। इसमें मौजूद पोषक तत्व कुपोषण से पीड़ित शरीर को पोषण प्रदान कर वजन बढ़ाने में सहायक होते हैं।

बढ़ती उम्र के साथ हड्डियों और जोड़ों में दर्द की समस्याएँ भी बढ़ सकती हैं। ऐसे में सफेद मूसली का सेवन अर्थराइटिस, जोड़ों और हड्डियों के दर्द में कुछ हद तक राहत प्रदान कर सकता है। इसमें प्रोटीन, कैल्शियम, कार्बोहाइड्रेट और विटामिन जैसे पोषक तत्व होते हैं, जो हड्डियों और शरीर के लिए आवश्यक होते हैं।

यह मधुमेह के मरीजों के लिए भी लाभकारी है। इसमें एंटीऑक्सीडेंट, एंटीहाइपरग्लाइसीमिक और एंटीडायबिटिक गुण होते हैं, जो मधुमेह के उपचार में सहायक होते हैं। यह एलोपैथिक दवा ग्लीबेनक्लामाइड (Glibenclamide) से भी अधिक फायदेमंद हो सकता है। हालांकि, यह पतले या कम वजन वाले मधुमेह के मरीजों के लिए अधिक लाभकारी हो सकता है, जबकि मोटे मधुमेह के मरीजों पर इसका असर कम हो सकता है।

पेशाब में जलन की शिकायत होने पर सफेद मूसली की जड़ को पीसकर इलायची के साथ दूध में उबालकर पीना बहुत फायदेमंद होता है।

महिलाओं के लिए सफेद मूसली अत्यधिक लाभकारी होती है। यह उम्र के प्रभाव को कम करने और सुंदरता बढ़ाने में मददगार साबित होती है। इसके अलावा अन्य नारी संबंधी समस्याओं में भी इसका सेवन लाभकारी होता है।

पथरी (स्टोन) की समस्या में सफेद मूसली को इंद्रायण की सूखी जड़ के साथ बराबर मात्रा (1-1 ग्राम) में पीसकर, एक गिलास पानी में डालकर मिलाएं और मरीज को सुबह-समझा पिलाएं। यह उपाय सात दिनों में ही प्रभाव दिखाता है और पथरी गल जाती है।

हर चीज़ के फायदे और नुकसान दोनों होते हैं। इसलिए, सफेद मूसली के भी फायदे के साथ कुछ नुकसान हो सकते हैं:

  • पचने में समय लगता है, जिससे पाचन तंत्र पर असर पड़ सकता है।
  • कब्ज की समस्या हो सकती है।
  • भूख कम हो सकती है।
  • इसकी तासीर ठंडी होती है, इसलिए कफ की समस्या बढ़ सकती है।
  • त्वचा संबंधी एलर्जी हो सकती है।

सफेद मूसली का सेवन करने के लिए सही मात्रा जानना ज़रूरी है, जो व्यक्ति की उम्र और शरीर की स्थिति पर निर्भर करती है:

  • बच्चों को: 1 ग्राम तक
  • किशोर (13-19 वर्ष): 2 ग्राम तक
  • 60 वर्ष तक के लोग: 6 ग्राम तक
  • गर्भवती या स्तनपान कराने वाली महिलाएं: 2 ग्राम तक, लेकिन डॉक्टर से सलाह ज़रूर लें

सफेद मूसली का सेवन पाउडर, कैप्सूल और सिरप के रूप में किया जा सकता है। यदि सेवन के बाद कोई स्वास्थ्य संबंधी समस्या महसूस हो, तो इसका सेवन बंद कर दें और डॉक्टर से सलाह लें।

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