4th Dimentail Theory of Business 1

इस संसार में मौजूद प्रत्येक वस्तु व् क्रियाकलाप के बारे में अपनी सोच 2D व् 3D से बढाकर 4D करने के तरीको के बारे में जानेगे| इससे किसी भी व्यक्ति के कार्य करने की छमता में, 50 से 70% तक की बढ़ोतरी हो सकती है| यह थ्योरी जीवन के प्रत्येक पहलू, चाहे वह सामाजिक हो, आर्थिक हो या राजनैतिक हो, हर एक क्षेत्र में काम करती है| 

तो सबसे पहले सवाल यह आता है कि आखिर यह “4th Dimentail Theory of Business” है क्या ?

इसका सीधा सा जबाब है कि जब हम किसी भी वास्तु को, चित्र में देखते है तो हमें केवल उस वस्तु की लम्बाई व् चौड़ाई ही दिखाई देती है| और केवल कलर कॉम्बिनेशन के माध्यम से ही हम यह अंदाजा लगते है की वास्तव में वह वास्तु है कैसी| लेकिन जैसे ही हम किसी वस्तु को 3D यानी लम्बाई चौड़ाई और ऊंचाई में देखते है तो उस वस्तु के सम्बन्ध में हमारी सोच 2D के मुकाबले बहुत ज्यादा क्लियर हो जाती है, और हम एक अच्छा निर्णय लेने के करीब आ जाते है| ऐसा इसलिए होता है क्युकी किसी भी चीज को 3d में देखने से हमारी सोच में परिवर्तन आ जाता है| परन्तु 3D में हमने जो महसूस किया वास्तव में वह बिलकुल सही हो, ऐसा नहीं है| अपनी सोच को और व्यापक तथा सटीक बनाने के लिए आज के समय में 4D तकनीक का इस्तेमाल किया जाता है, जिसमे किन्ही दो वस्तुओ के आपसी रिलेशन को आधार मानकर किसी निर्णय पर पहुंचा जाता है| क्योकि इस संसार में जितने भी मानक है वह सभी काल्पनिक है, सटीक नहीं है| 

इसको हम एक उदाहरण के माध्यम से समझते है| 

मान लीजिये एक कमरा है जिसकी लम्बाई, चौड़ाई और ऊँचाई सभी 20 -20 फिट है| अब इस कमरे में 7 फिट ऊंचाई  का दरवाजा लगा है| इस कमरे में 6 फिट ऊँचा एक आदमी प्रवेश करता है|  

वही दूसरी तरफ एक एक और कमरा है जिसकी लम्बाई, चौड़ाई और ऊँचाई सभी 40 -40  फिट है| अब इस कमरे में 14  फिट ऊंचाई  का दरवाजा लगा है| इस कमरे में 12  फिट ऊँचा का एक आदमी प्रवेश करता है| 

कुछ देर बाद दोनों आदमी कमरे से बहार निकलते है और सामने बने एक ग्राउंड में एंट्री करते है| वह पर उनसे उनके कमरे में एंट्री करने के अनुभव के बारे में पूंछा जाता है| तो जबाब में दोनों का जबाब और एक्सपीरियन्स एक जैसा ही था बावजूद इसके की दोनों के कमरे की लम्बाई चौड़ाई और ऊंचाई अलग अलग थी|  

लेकिन अब दोनों आदमियों को पहले कमरे में और फिर बाद में दुसरे कमरे में साथ साथ एंट्री करने के  कहा जाता है और बहार आकर फिर से उनके अनुभव को नोट किया जाता है| इस बार दोनों के अनुभव अलग थे बावजूद इसके की एक समय में वह जिस भी कमरे में गए उसकी लम्बाई चौड़ाई और ऊंचाई दोनों के लिए एक ही थी| 

तो इस कहानी में ट्विस्ट कहा आता है?

इस कहानी में महत्वपूर्ण बात यह है की जब पहला आदमी अपने कमरे में एंट्री करता है तो उससे पूछा जाता है की दरवाजे से आप कितने नीची  से निकल पाए तो उत्तर मिला “एक बिलांद चार अंगुल”| 

और दुसरे से पूंछा गया तो उसने भी यही जबाब दिया “एक बिलांद चार अंगुल| “

ऐसा इसलिए क्युकी दोनों व्यक्तियों में 1 : 2 का अंतर है और दोनों कमरों के साइज में भी 1:2  का अंतर ही है| 

लेकिन जब दोनों दोबारा पहले कमरे में एक साथ एंट्री करते है तो पहले आदमी का  जबाब तो बिलकुल ऐसा ही मिलता है जैसा उसने अभी दिया था, लेकिन दूसरे का ज़बाब अलग हो जाता है और वो बताता है कि सिर दरवाजे में अटक गया था और दरवाजा छोटा था कमरा भी छोटा था| 

वही पर जब दुसरे कमरे में एंट्री की गयी तो पहले वाले आदमी ने बताया कि दरवाजे का ऊपरी शिरा उससे बहुत ही ज्यादा ऊँचा था| तो इससे यह बात सिद्ध होती है कि जब भी कोई वस्तु या व्यक्ति किसी अन्य वस्तु या व्यक्ति के संपर्क में आता है तो उसका अनुभव कई सारी अन्य सापेक्ष चीजों पर भी निर्भर करता है| 

इसी प्रकार यदि कोई 20 साल का व्यक्ति ग्राउंड में फूटबाल खेलता है और उसके साथ आठ या नो साल का बच्चा फूटबाल खेलता है तो एक ही फूटबाल दोनों लोगो के लिए अलग – अलग है, क्युकी युवक के लिए फूटबाल एक नार्मल फूटबाल है और वही पर बच्चे के लिए वह फूटबाल अनुपातिक रूप से उस युवक के मुकाबले बहुत ही ज्यादा बड़ी है जिसको सही से मैनेज करना शायद ज्यादा मुश्किल हो सकता है | 

तो जहा तक “4th Dimentail Theory of Business” का सवाल है तो इसमें हम चीजों को एक विशेष दृष्टिकोण से देखने का प्रयास करते है जो कि हमें ज्यादा सटीक वास्तविकता के करीब ले जाने में सक्षम है|  

जिस समय पर आप यह देख रहे है ठीक उसी समय पर इस दुनिया में मौजूद हर एक व्यक्ति कुछ न कुछ जरूर कर रहा होता है | हर एक जीव, हर एक वस्तु, हर एक अणु, हर समय, इस ब्रह्माण्ड में मौजूद जितने भी अन्य ऑब्जेक्ट है उनमे से किसी न किसी से अपनी पोजीशन जरूर चेंज कर रहा होता है| ऐसा बिल्कुल नहीं हो सकता कि एक सेकेण्ड  के लिए भी इस ब्रम्हाण्ड का सारा का सारा मास स्थिर हो जाए| इस बात अर्थ यह है कि आप अपने हिसाब से चीजों को मैनेज करते है लेकिन, और लोग एवं अन्य परिस्थिया भी आपके कार्य पर प्रभाव डाल रही होती है चाहे आप उन चीजों को नोटिस करे या न करे| 

आपने कई बार नोटिस किया होगा कि आप किसी जरूरी मीटिंग के लिये प्रयास कर रहे होते है, या फिर कोई और बहुत ही महत्वपूर्ण कार्य करने के लिए प्रयास कर रहे होते है और अंत में आप एक डेट फिक्स कर देते है उस कार्य के लिए| लेकिन जैसे ही आप घर आते है तो देखते है कि आपके किसी बहुत ही ख़ास रिलेटिव के घर पर भी एक फंक्शन है और आप उसमे आमंत्रित है| अब आपको उस फंक्शन को भी अटैंड करना है और अपने उस जरूरी काम को भी देखना है |और आप मन ही मन सोचते है कि यार इन्हे भी यही डेट मिली थी इस फ़ंक्शन को करने के लिए| 

लेकिन आपके रिलेटिव का फंक्शन भी यूँ ही अचानक नहीं आया है| दरअसल उसकी भी एक प्रक्रिया थी जोकि उसी तरीक को फाइनल हुई| चाहे अपने उस प्रक्रिया में भाग लिया हो और चाहे न लिया हो लेकिन आप पर उसके फाइनल रिजल्ट का पभाव पड़ा| ये चीजे अचानक से नहीं घटती है केवल हमे ऐसा लगता है कि ये घट गयी है और हम पर इसका प्रभाव पड़ रहा है| परन्तु यहाँ पर में ये बताना चाहता हु कि अगर आप “4th Dimentail Theory of Business” के बारे में जानते है तो आपको यह सब अचानक से होने वाली घटनाए नहीं लगेगी| और आपके पास कुछ ऐसे विकल्प भी मौजूद होंगे जिनसे आप इस प्रकार की घटनाओ के प्रभाव को कम कर सकते है और पूर्वअनुमान लगाने की एक विशेष काबिलियत विकसित करते हुए ऐसे डिसीजन लेने शुरू कर देते है जिससे न केवल आपका  व्यापारिक लाभ बढ़ता है बल्कि आप सामजिक, सांस्कृतिक और राजनैतिक रूप से भी अपनी छमताओं में व्रद्धि का अनुभव साफ साफ महसूस करते है|

जीवन के हर एक क्षेत्र में इस थ्योरी का इस्तेमाल किया जा सकता है

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